Class 11 Hindi Aroh NCERT Solutions for Chapter 12 (Updated for 2021-22)

Class 11 Hindi Aroh NCERT Solutions for Chapter 12

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Aroh is the Hindi poetry book prescribed by CBSE board, and one can easily learn and study Hindi and score high grades in exams. Hindi is a subject which is easy to learn once you understand what the poet and writer are trying to convey. If you have been inattentive during your lectures, you cannot understand much by yourself, especially Class 11th Hindi Chapter 12 poem. This means you have to spend hours looking for meanings on the internet.

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 12: Overview

Meera Ke Pad Class 11

Meera Ke Pad by 16th-century Bhakti Saint Mirabai appears in Aroh Class 11 Chapter 12. She is a well-known devotee who has written several poems about Lord Krishna’s love and devotion. Mirabai was a mystic poet on a mission to encounter the Supreme Being. She regarded Lord Krishna as her husband and cherished, and we find her lamenting the fact that her husband isn’t physically there in most of her writings.

Meera Ke Pad is a two-part poem by Mirabai for Class 11 in which one Mirabai is seen conversing with her husband, Lord Krishna. She has renounced all worldly possessions and is unconcerned about what others think of her relationship with Krishna; she regards herself as a Daasi of Krishna and longs for Krishna’s Moksha.

She reveals in the second half that she is madly in love with her spouse and doesn’t give a damn what other people think of her. It incorporates the usage of Shringar Rasa, in which Mirabai declares her desire to connect to God while letting go of all worldly ties.

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प्रश्न 1.

मीरा कृष्ण की उपासना किस रूप में करती हैं ? वह रूप कैसा है ?

उत्तर-

मीरा का कृष्ण के प्रति प्रेम एकदम निश्चल , पवित्र व अलौकिक हैं। वो कृष्ण की उपासना अपने पति या स्वामी के रूप में करती हैं। वो कृष्ण को अपना स्वामी और स्वयं को उनकी दासी कहती हैं। श्रीकृष्ण ही मीरा के प्राणाधार हैं।  

मीरा कहती हैं कि गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली से उठाने वाले व अपने सिर पर मोरपंखी का मुकुट धारण वाले श्री कृष्ण का रूप अत्यधिक मनमोहक व मनभावन हैं।

प्रश्न 2.

भाव व शिल्प सौंदर्य स्पष्ट कीजिए ?

(क)

अंसुवन जल सींचि-सचि , प्रेम-बेलि बोयी । 

अब त बेलि फैलि गई , आणंद-फल होयी ।। 

उत्तर-

भाव-

मीराजी कहती हैं कि श्रीकृष्ण के प्रेम रूपी जिस बेल को मैंने बड़े प्रेम से बोया था और फिर कृष्ण से मिलन की आस में बहने वाले आंसुओं से उसे लगातार सींच-सींच कर पल्ल्वित किया था। अब वह बेल बहुत फैल गयी हैं या बढ़ गई है। और अब उसमें से मुझे आनंद रूपी फल प्राप्त हो रहे हैं। यानि मीरा के मन में कृष्ण भक्ति की भावना लगातार बढ़ रही हैं।

शिल्प सौंदर्य-

इन पदों में मीराबाई का कृष्ण के प्रति पूर्ण समर्पण का भाव दिखाई देता है। वो कृष्ण को ही अपना सर्वस्व मानती हैं। इन पदों में राजस्थानी और बृज भाषा का मिलाजुला प्रयोग किया है। ये सभी गेय पद हैं।

रूपक अलंकार –“प्रेम – बेलि ” यानी कृष्ण के प्रेम रूपी बेल और “आणंद – फल ” यानि आनंद रूपी फल ।

अनुप्रास अलंकार – “बेलि – बोयी” । 

पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार –   “सींचि – सींचि” ।

(ख)

दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से विलोयी। 

दधि मथि घृत काढ़ि लियो, डारि दयी छोयी ।।

उत्तर-

भाव-

मीराजी कहती हैं कि जिस प्रकार दही को मथकर उसमें से घी निकाल लिया जाता है और छाँस को छोड़ दिया जाता है। ठीक उसी प्रकार मैने भी कृष्ण के प्रेम रूपी दही को अपनी भक्ति रूपी मथानी से बड़े प्रेम से बिलोया हैं।

और फिर दही के अच्छी तरह से मथ जाने के बाद मैंने उसमें से घी निकाल लिया और छाँस को छोड़ दिया है। यहाँ पर घी कृष्ण से उनके अनन्य प्रेम का प्रतीक है जबकि छास सांसारिक मोह माया का प्रतीक है। यानि उन्होंने सभी सांसारिक मोह माया को छोड़ और अपने अथक प्रयासों से भगवान कृष्ण को पा लिया हैं।

शिल्प सौंदर्य-

  1. उपरोक्त पदों में उदाहरण अलंकार देखने को मिलता हैं।
  2. पदों में प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग हुआ है। 
  3. पद लयात्मकता है। 
  4. यहाँ पर घी कृष्ण से मीरा के अनन्य प्रेम का प्रतीक है जबकि छास सांसारिक मोह माया का प्रतीक है।

प्रश्न 3.

लोग मीरा को “बावरी” क्यों कहते हैं ?

उत्तर-

मीराबाई महलों की सुख-सुविधाओं को छोड़कर मंदिर में किसी सन्यासिन की भांति अपना जीवन बिताती हैं। साधु संतों के साथ उठती-बैठती है। कृष्ण प्रेम में दीवानी होकर अपने पैरों में धुँधरुँ बांध कर नाचने लगती है। वो राजकुल की बहू के विपरीत आचरण करती हैं। उन्होंने अपने राज कुल की सभी मर्यादाओं को छोड़कर दिया हैं। इसीलिए लोग उन्हें “बावरी”कहते है।

प्रश्न 4.

“विस का प्याला राणा भेज्या , पीवत मीरां हाँसी”। इसमें क्या व्यंग्य छिपा है ?

उत्तर-

मीरा से नाराज होकर उनके देवर राणा ने उन्हें मारने के लिये जहर भेजा। जिसे मीरा ने खुशी-खुशी पी लिया। जहर पीने के बाद जब मीरा पर उसका कोई असर नहीं हुआ तो ,  वो हंसती हैं।

यह व्यंग्य उन लोगों के लिए हैं जो उनकी कृष्ण भक्ति और उस भक्ति के शक्ति को समझ नहीं पाए। और उनको “बावरी” समझ कर उन्हें मारने के तरह-तरह के उपाय करते रहे। 

प्रश्न 5.

मीरा जगत को देखकर रोती क्यों हैं ?

उत्तर:

मीरा जगत को देखकर इसलिए दुखी होती हैं। क्योंकि वह देखती है कि लोग प्रभु भक्ति के मार्ग को छोड़कर सांसारिक मोह माया के जाल में फंसे हैं। 

लेकिन जब वो ईश्वर की भक्ति में लीन लोगों को देखती हैं तो उनका मन प्रसन्नता से भर जाता है। क्योंकि वो जानती हैं कि व्यक्ति सच्चे प्रेम और भक्ति से ईश्वर को सहजता से प्राप्त कर सकता है। 

पद के आसपास

प्रश्न 1.

कल्पना करें , प्रेम प्राप्ति के लिए मीरा को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा होगा ?

उत्तर-

प्रेम-प्राप्ति के लिए मीरा को निम्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ा होगा।

  1. मीरा को अपने राजपरिवार व अन्य लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा होगा।
  2. समाज की उपेक्षा व ताने सहने करने पड़े होगें ।
  3. मंदिरों में रहकर एक सन्यासिन की भाँति अपना जीवन बिताना पड़ा होगा ।
  4. राजकुल की बहू के विपरीत आचरण करने व राज कुल की मर्यादाओं को छोड़ने के कारण उन्हें “कुल नाशिनी” तक कहा गया होगा। 
  5. राणा द्वारा उनको मारने के कई प्रयास किए गए होंगे।

प्रश्न 2.

लोक-लाज खोने का अभिप्राय क्या है ?

उत्तर-

उस समय राजस्थान में महिलाओं में पर्दा प्रथा प्रचलित थी। महिलाएं घर के अंदर व घर के बाहर दोनों जगह पर्दा पहन कर ही रहती थीं। ऐसी सामाजिक व्यवस्था में मीरा मंदिरों में कृष्ण का भजन करती , साधु संतो के बीच बैठ कर सत्संग करती व अपने पैरों पर धुँधरुँ बाँध कर मस्त होकर नाचती थी।

यानी उन्होंने समाज के ठेकेदारों द्वारा महिलाओं के लिए बनाई सभी मर्यादाओं का उल्लंघन किया जिसे समाज द्वारा “लोक-लाज खोना” कहते है।

प्रश्न 3.

मीरा ने “सहज मिले अविनासी” क्यों कहा है ?

उत्तर-

मीरा ने कृष्ण को अविनाशी (यानि जिसका कभी नाश नहीं हो सकता हैं) कहा हैं । वो कहती हैं कि अगर व्यक्ति सच्चे मन से उस ईश्वर की भक्ति करे तो वो , उसे बहुत ही आसानी से प्राप्त हो सकते हैं।

प्रश्न 4.

“लोग कहै ,  मीरा भइ बावरी” , “न्यात कहै , कुल-नासी” ।

मीरा के बारे में लोग (समाज) और न्यात (कुटुंब) की ऐसी धारणाएँ क्यों हैं ?

उत्तर-

मीराबाई महलों की सुख-सुविधाओं को छोड़कर मंदिर में किसी सन्यासिन की भांति अपना जीवन बिताती हैं। कृष्ण प्रेम में दीवानी होकर नाचती गाती है। साधु संतों की संगत करती है। वो कृष्ण प्रेम में पागल हो उनकी नगरी वृंदावन व द्वारिका तक भी आती हैं । उन्होंने कृष्ण प्रेम में अपनी लोकलाज व सुध-बुध सब खो दी। इसीलिए लोग उन्हें “पागल” कहते हैं।

वो राजकुल की बहू के विपरीत आचरण करती हैं। उन्होंने अपने राज कुल की सभी मर्यादाओं का त्याग कर दिया हैं। इसीलिए लोग उन्हें “कुल नशिनी” कहते है।

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What is the Essence of Class 11 Chapter 12 Meera Ke Pad?

Chapter 12 of the Hindi poem for class 11 Meera ke Pad is a rhyming couplet poem penned by mystic poet Mirabai in which she expresses her love for Lord Krishna. She has regarded Krishna as her husband from childhood, has renounced all worldly ties and material possessions, and longs to see Krishna one day. Her life’s goal is to delve deeply into Krishna’s petitions and, as a result, gain salvation. She advises her readers to follow the road of truth, eternal love, and beauty to meet the Almighty and to rid themselves of all worldly desires that lead them away from salvation.

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