डॉ. एपीजे अब्दुिल कलाम - भारत के पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम भारत में मिसाइल मैन के नाम से भी जाने जाते हैं। 1962 में वे 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' में शामिल हुए. कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल है।
जयन्त विष्णु नार्लीकर - महाराष्ट्र् के कोल्हा पुर में जन्में प्रसिद्ध वैज्ञानिक जयंत जयन्त विष्णु नार्लीकर भौतिकी के वैज्ञानिक हैं. उन्होंने ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बिग बैंग की थ्योडरी के अलावा नये सिद्धांत स्थायी अवस्था के सिद्धान्त (Steady State Theory)पर भी काम किया है।
विक्रम साराभाई - विक्रम अंबालाल साराभाई भारत के अंतरिक्ष इतिहास के जनक कहे जा सकते हैं। एक तरह से उन्होंलनें भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम की नींव रखी। उन्होंने देश में 40 अंतरिक्ष और शोध से जुड़े संस्थाहनों को खोला।
डॉ जगदीश चंद्र बोस - डॉ. जगदीशचंद्र बोस को सर बोस भी कहा जाता था। उन्हें भौतिकी, जीवविज्ञान, वनस्पतिविज्ञान तथा पुरातत्व का गहन ज्ञान था। वे दुनिया के पहले ऐसे वैज्ञानिक थे, जिन्होंंने रेडियो और सूक्ष्म तरंगों की प्रकाशिकी पर कार्य किया।
होमी जहांगीर भाभा - डॉ. होमी जहांगीर भाभा के बिना भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना ही नहीं की जा सकती। उन्हें 'आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम' भी कहा जाता है। उन्हीं की बदौलत 1974 में देश पहला परमाणु परीक्षण करने में सफल रहा।
सत्येन्द्र नाथ बोस - इस महान भारतीय वैज्ञानिक की महानता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भौतिक शास्त्र में बोसान और फर्मियान नाम के दो अणुओं में से बोसान सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम पर ही है। उन्होंने अपने समय के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन के साथ मिलकर बोस-आइंस्टीन स्टैटिस्टिक्स की खोज की।
वेंकटरामन रामकृष्णन - तमिलनाडू के चिदंबरम जिले से आने वाले भारतीय मूल के वेंकटरामन रामकृष्णन को साल 2009 में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्का्र दिया गया। रामन को यह पुरस्कार कोशिका के अंदर प्रोटीन का निर्माण करने वाले राइबोसोम की कार्यप्रणाली व संरचना के उत्कृष्ट अध्ययन के लिए दिया गया।
सुब्रमण्यम चंद्रशेखर: सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर को 1983 में भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। डॉ. सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर ने श्वेत बौने नाम के नक्षत्रों की खोज की। उनके द्वारा खोजे गए इस नक्षत्रों की सीमा को चंद्रशेखर सीमा कहा जाता है।
हरगोविंद खुराना - भारतीय मूल के इस अमेरिकी नागरिक और वैज्ञानिक डॉ. हरगोबिंद खुराना को 1968 में चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया। उन्होंने आनुवांशिक कोड (डीएनए) की व्याख्या की और उसका अनुसंधान किया।
सीवी रमन - इनका पूरा नाम चंद्रशेखर वेंकटरमन था और विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पाने वाले वे पहले वैज्ञानिक थे। 1930 में उन्हें भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। वेंकटरमन ने प्रकाश पर गहन अध्ययन किया, उनके अविष्कार को 'रमन-प्रभाव' के रूप में जाना गया।