ज्वालामुखी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी और तथ्य
ज्वालामुखी क्या है - ज्वालामुखी एक ऐसी सतह है जहां गर्म पदार्थ जैसे लावा, मैग्मा, गैस और राख बाहर निकलते हैं। इसके द्वारा निकला लावा और इसके आसपास के पदार्थ काफी गरम होते हैं।
निष्क्रिय ज्वालामुखी - यदि ज्वालामुखी से लावा नहीं निकलता है तो उसे निष्क्रिय ज्वालामुखी कहते हैं। निष्क्रिय ज्वालामुखी भविष्य में सक्रीय हो सकती है।
मृत ज्वालामुखी - यदि कोई ज्वालामुखी 10,000 वर्षों तक निष्क्रिय रहती है तो उसे मृत ज्वालामुखी कहा जाता है।
क्या होता है मैग्मा - किसी ज्वालामुखी की विस्फोटकता, मैग्मा के उत्सर्जन गति, और मैग्मा में निहित गैस की उत्सर्जन गति पर निर्भर करती है। मैग्मा में बहुत अधिक मात्र में जल और कार्बनडाइऑक्साइड मौजूद होता है।
ज्वालामुखी से निकलता है मैग्मा - एक सक्रिय ज्वालामुखी से मैग्मा निकलते हुए देखने पर पता चलता है कि इसकी गैस उत्सर्जन की क्रिया किसी कार्बोनेटेड पेय से गैस निष्काषन की क्रिया से मिलती जुलती है।
ज्वालामुखी का आकर - ज्वालामुखी कई आकर का हो सकता है। कुछ ज्वालामुखी एक सही कोन की आकार के होते हैं तो कुछ ज्वालामुखी बहुत गहरे पानी से भरे हुए होते हैं।
ज्वालामुखी की अलग अलग आकृतियों के आधार पर इसे तीन अलग नामों से जाना जाता है -
शील्ड ज्वालामुखी - यदि मेगा बहुत गर्म हो और बहुत तेज़ गति में भूमि से बाहर आ रहा हो तो विस्फोटन सामान्य होता है। इससे निकलने वाला मैग्मा बहुत अधिक मात्रा में होता है। इस तरह के ज्वालामुखी के मैग्मा का तामपान लगभग 800 से 1200 डिग्री सेंटीग्रेड के मध्य होता है।
सम्मिश्रित कम्पोजिट ज्वालामुखी - इसे ‘स्त्रातो ज्वालामुखी’ के नाम से भी जाना जाता है। इस तरह के ज्वालामुखी में एक विशेष तरह का विस्फोट होता है। इस ज्वालामुखी के लावा का तामपान 800 से 1000 डिग्री सेंटीग्रेड के मध्य होता है।
काल्डेरा ज्वालामुखी - इस तरह के ज्वालामुखी में ऐसा विस्फोट होता है कि लावा का अधिकांश हिस्सा ज्वालामुखी के मुख पर जम जाता है, और ज्वालामुखी का आकार एक बेसिन की तरह हो जाता है। इसके मैग्मा का तापमान 650 से 800 डिग्री सेंटीग्रेड के मध्य होता है।