Class 11 Hindi Antra NCERT Solutions for Chapter 18 2021

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 18

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NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 18

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Ch 18

 

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NCERT Solutions Class 11 Hindi Antra Chapter 18

This poem attempts to offer an outline of a town’s status. The poet is shown as the ruler of the city of Magadha. He has also recounted the harshness of the times and how it made people fearful. NCERT answers for class 11 aid students in strengthening their preparation, allowing them to achieve the maximum possible scores in the final examinations. These solutions strictly follow the CBSE’s most recent rules and curriculum. NCERT answers for class 11 aid students in strengthening their preparation, allowing them to achieve the maximum possible scores in the final examinations.

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1.मगध के माध्यम से ‘हस्तक्षेप’ कविता किस व्यवस्था की ओर इशारा कर रही है?

इस कविता के माध्यम से कवि आज के समय में विद्यमान शासन व्यवस्था की ओर संकेत करता है। इस शासन व्यवस्था में मगध के समान निरंकुशता का समावेश हो रहा है।

2.व्यवस्था को ‘निरंकुश’ प्रवृत्ति से बचाए रखने के लिए उसमें ‘हस्तक्षेप’ ज़रूरी है – कविता को दृष्टि में रखते हुए अपना मत दीजिए।

कवि बिलकुल सही कहता है। उसके अनुसार यदि हम शासन के मनमाने व्यवहार को सहते जाएँगे और हस्तक्षेप नहीं करेंगे, तो वह निरंकुश होती जाएगी। हमें उसके मनमाने व्यवहार को रोकने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ेगा। हमारे हस्तक्षेप से शासन की नकेल कसी जा सकती है। शासन व्यवस्था को हमने बनाया है। अतः वह हमें जवाब देने के लिए बाध्य है। उसका कोई अधिकार नहीं है कि वह हमारे साथ मनमाना व्यवहार करें।

3.मगध निवासी किसी भी प्रकार से शासन व्यवस्था में हस्तक्षेप करने से क्यों कतराते हैं?

मगध निवासी डरते हैं कि यदि हम शासन व्यवस्था में हस्तक्षेप करेंगे, तो राजा हमारा विरोधी हो जाएगा। इस तरह हमें उसके कोप का भाजन बनना पड़ेगा। अतः वह शासन व्यवस्था के मनमाने व्यवहार को चुपचाप सेहते जाते हैं। यह स्थिति सही नहीं है। उनकी चुप्पी उन्हीं के शोषण का कारण बनती है।

4.’मगध अब कहने को मगध है, रहने को नहीं’ – के आधार पर मगध की स्थिति का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।

मगध एक शक्तिशाली राज्य के रूप में विद्यमान था। इसकी समृद्धि और ताकत पूरे भारत में मानी जाती थी। लेकिन यह मात्र कहने के लिए था। मगध की जनता शासन व्यवस्था के निरंकुश व्यवहार से परेशान थी। लोगों को सताया जाता था। उन्हें शासन व्यवस्था की अनुचित माँगों के आगे घुटने टेकने पड़ते थे। अतः यह स्थान नागरिकों के लिए अब उचित नहीं था। जब वहाँ की जनता ही वहाँ प्रसन्न नहीं है, तो उसके नाम का कोई महत्व नहीं रहता है। यह स्थान लोगों के रहने के लिए अब बेकार था।

5.मुर्दे का हस्तक्षेप क्या प्रश्न खड़ा करता है? प्रश्न की सार्थकता को कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

मगध की शासन व्यवस्था निरंकुश हो चली थी। यहाँ के निवासी डर के मारे कुछ नहीं बोलते थे। उनकी बोलने-समझने की शक्ति क्षीण हो जाती है। वह अत्याचार झेलते हैं लेकिन हस्तक्षेप नहीं करते हैं। वह ऐसे जिंदा हैं, जो मरे के समान है। ऐसी स्थिति में मुर्दा बोलता है क्योंकि उसे डर नहीं लगता है। अब कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। अतः वह प्रश्न करता हुआ प्रतीत होता है कि मनुष्य को डर किससे लगता है।

6.’मगध को बनाए रखना है, तो मगध में शांति रहनी ही चाहिए’ – भाव स्पष्ट कीजिए।

शासन व्यवस्था लोगों के साथ मनमाना व्यवहार करती है। लोगों में असंतोष को देखकर वह कहती है कि मगध की शांति के लिए उन्होंने आवाज़ नहीं उठानी है। यदि शासन में शांति व्यवस्था है, तो मगध है। विद्रोह होगा, तो मगध के अस्तित्व में आँच आएगी। अतः लोगों को शांति बनाए रखने के लिए दबाव डाला जाता है। उनका मत है कि हमारे प्रयास से ही मगध में शांति है। शासन व्यवस्था लोगों को इस तरह कहकर विरोध को रोकने का प्रयास करती है। वे जानती है कि लोगों का हस्तक्षेप विरोध की स्थिति को जन्म देगा और उनकी मनमानी समाप्त हो जाएगी। अतः वह शांति के नाम पर उनको डराते हैं।

7.’हस्तक्षेप’ कविता सत्ता की क्रूरता और उसके कारण पैदा होनेवाले प्रतिरोध की कविता है – स्पष्ट कीजिए।

मगध में कवि ने शासन व्यवस्था को क्रूर दिखाया है। जो विरोध को दबाने के लिए तथा मनमाना व्यवहार करने के लिए लोगों पर नाना प्रकार के अत्याचार करती है। इस तरह मगध में आतंक का वातावरण विद्यमान रहता है। यह कविता ऐसी शासन व्यवस्था के खिलाफ है, जो क्रूरतापूर्वक शासन करते हैं। जनता की भावनाओं तथा अधिकारों का हनन करते हैं। ऐसी शासन व्यवस्था में प्रतिरोध होना आवश्यक है। कवि बताता है कि यदि जनता इस क्रूरतापूर्ण शासन व्यवस्था का अंत करना चाहती है, तो उसे प्रतिरोध करना पड़ेगा। जब तक वे प्रतिरोध नहीं करेंगे, यह क्रूरता चलती रहेगी।

8.निम्नलिखित लाक्षणिक प्रयोगों को स्पष्ट कीजिए –
(क) कोई छींकता तक नहीं
(ख) कोई चीखता तक नहीं
(ग) कोई टोकता तक नहीं

(क) कोई छींकता तक नहीं का लाक्षणिक प्रयोग इस संदर्भ में किया हैः शासन व्यवस्था की मनमानी से परेशान है लेकिन फिर भी कोई कुछ प्रतिक्रिया नहीं करता है।
(ख) कोई चीखता तक नहीं का लाक्षणिक प्रयोग इस संदर्भ में किया हैः शासन व्यवस्था की मनमानी से परेशान है लेकिन कोई उसके विरुद्ध मज़बूती से नहीं बोलता।
(ग) कोई टोकता तक नहीं का लाक्षणिक प्रयोग इस संदर्भ में किया हैः शासन व्यवस्था की मनमानी और अत्याचार के प्रति कोई हस्तक्षेप क्यों नहीं करता है। चुपचाप अन्याय सह रहे हैं।

9.निम्नलिखित पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
(क) मगध को बनाए रखना है, तो, …………. मगध है, तो शांति है।
(ख) मगध में व्यवस्था रहनी ही चाहिए ……………… क्या कहेंगे लोग?
(ग) जब कोई नहीं करता ……………. मनुष्य क्यों मरता है?

(क) संदर्भ- प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीकांत वर्मा द्वारा रचित कविता ‘हस्तक्षेप’ से ली गई है। इसमें कवि मगध की शासन व्यवस्था का व्यवहार दर्शाता है।

व्याख्या- शासन व्यवस्था लोगों के साथ मनमाना व्यवहार करती है। लोगों में असंतोष को देखकर वह कहती है कि मगध की शांति के लिए उन्होंने आवाज़ नहीं उठानी है। यदि शासन में शांति व्यवस्था है, तो मगध है। यदि विद्रोह होगा, तो मगध के अस्तित्व में आँच आएगी। अतः लोगों को शांति बनाए रखने के लिए दबाव डाला जाता है। उनका मत है कि हमारे प्रयास से ही मगध में शांति है। शासन व्यवस्था लोगों को इस तरह कहकर विरोध को रोकने का प्रयास करती है। वे जानती है कि लोगों का हस्तक्षेप विरोध की स्थिति को जन्म देगा और उनकी मनमानी समाप्त हो जाएगी। अतः वह शांति के नाम पर उनको डराते हैं।(ख) संदर्भ- प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीकांत वर्मा द्वारा रचित कविता ‘हस्तक्षेप’ से ली गई है। इसमें कवि मगध की शासन व्यवस्था का फैलाया हुआ डर दिखाता है।
व्याख्या- शासन व्यवस्था कहती है कि मगध में शांति बनाए रखने के लिए व्यवस्था का होना आवश्यक है। अतः उसके लिए प्रतिबंध लगाना आवश्यक है। इस व्यवस्था को बनाए रखने के लिए प्रतिबंध को सहर्ष स्वीकार करना नागरिक के लिए आवश्यक है। कोई नागरिक इस व्यवस्था के विरोध में आवाज़ नहीं उठाएगा। उसके विरोध से शासन व्यवस्था में बाधा उत्पन्न होती है। अतः यह उचित नहीं है। अतः लोगों को चुपचाप इसे मानना चाहिए। यदि यह व्यवस्था मगध में स्थापित नहीं की जा सकेगी, तो सारे देश में बदनामी होगी। यह मगधवासियों के लिए सही नहीं होगा।
(ग) संदर्भ- प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीकांत वर्मा द्वारा रचित कविता ‘हस्तक्षेप’ से ली गई है। इस पंक्ति पर कवि मुर्दे के माध्यम से लोगों को चेताता है कि हस्तक्षेप करना आवश्यक होता है।
व्याख्या- मगधवासी शासन व्यवस्था के अन्याय तथा अनाचार से परेशान हैं। वे कुछ नहीं बोलते। विरोध नहीं करते हैं। वे जानते हैं कि उनके हस्तक्षेप किए बिना उनकी दशा सुधर नहीं सकती है। जब वे इस हस्तक्षेप से बचकर निकलने का प्रयास करेंगे, तो स्थिति ऐसी बनती है कि एक मुर्दा भी अपनी आवाज़ उठा कर उन पर व्यंग्य कस जाता है। तब जीवित लोगों द्वारा हस्तेक्षप किए बिना नहीं रहा जाएगा क्योंकि एक मुर्दा उनके स्वाभिमान को हिला जाएगा।

10.’एक बार शुरू होने पर
कहीं नहीं रुकता हस्तक्षेप’
इस पंक्ति को केंद्र में रखकर परिचर्चा आयोजित करें।

यह पंक्ति बहुत गहरी बात कह जाती है। हर मनुष्य के सहने की एक सीमा होती है। जब तक पानी सिर से ऊपर नहीं गुजरता, वह चुप रहता है। जहाँ पानी उसके सिर के ऊपर पहुँच जाता है, वह आवाज़ उठाने पर विवश हो जाता है। वह जानता है कि अब स्थिति चुप रहकर नहीं गुजारी जा सकती है। चुप रहकर भी मरना है, तो बोलकर ही मरा जाए। यह स्थिति अत्याचारी शासक और उसकी शासन व्यवस्था के लिए खतरनाक होती है। बस जब आवाज़ उठाना आरंभ कर देता है, तो फिर वह रुकता नहीं है। उसे समझ में आ जाता है कि बोलकर ही अत्याचार और शोषण को रोका जा सकता है। इसके बाद सभी बोल पड़ते हैं। भारत तब तक गुलाम रहा, जब तक सबका स्वाभिमान जाग नहीं गया। जब जनता ने बोलना आरंभ किया, तो ब्रिटिश शासन के पैर उखड़ गए और उसके शासन का अंत हुआ।

11.’व्यक्तित्व के विकास में प्रश्न की भूमिका’ विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।

प्रश्न व्यक्तित्व के विकास में बहुत बड़ी भूमिका रखता है। प्रश्न उसके दिमाग में उठने वाले विचारों की प्रतिक्रिया है। इससे उसकी वैचारिक शक्ति और इच्छा का पता चलता है। यही कारण है कि लोग बच्चों के प्रश्नों के हर जवाब का उत्तर देते हैं। बच्चे हर चीज़ को जानना चाहते हैं। प्राप्त जानकारी को वे ऐसे ही स्वीकार नहीं करते हैं। उनकी तर्क शक्ति हमें चारों से घेर लेती है। वे जब पूछते हैं, तो विषय सरल से होकर गंभीर होता चला जाता है। कई बार उनके द्वारा पूछे गए सरल प्रश्न से चलते हुए वे जटिल प्रश्नों का अंबार लगा देते हैं। जितना वे जानते चले जाते हैं, उनके ज्ञान में बढ़ोतरी होती चली जाती है। अतः प्रश्न पूछने वाले को अच्छा माना जाता है। यह समझा जाता है कि किसी विषय पर वह गहराई से सोचता है। प्रश्न पूछकर वह उसे और जानना चाहता है और अपनी शंका का समाधान चाहता है।

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  • Chapter 2 – Dopeher Ka bhojan
  • Chapter 3 – Torch Bechnewale
  • Chapter 4 – Gunge
  • Chapter 5 – Jyotiba Phule
  • Chapter 6 – Khanabados
  • Chapter 7 – Naye ki janm kundali: ek
  • Chapter 8 – Uski Maa
  • Chapter 9 – Bharatbarsh ki unnati kaise ho sakti hai?
  • Chapter 10 Poem – Kabeer
  • Chapter 11 Poem – Surdas
  • Chapter 12 Poem – Hasi ki Chot Sapna Darbar
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  • Chapter 17 Poem – Badal Ko Ghirte Dekha Hai
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