Class 11 Hindi Aroh NCERT Solutions Chapter 2 (Updated for 2021-22)

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 2

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NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 2: Overview

Miyan Nasiruddin

Miyan Nasiruddin, a hereditary baker, is the protagonist of this novel. Through a humorous narrative, the writer has revealed the eccentricity and other specialties of this baker’s varied personality. It explains why Miyan regarded his baking prowess as an art form and boasted about his ability to produce a wide range of rotis.

When the writer was wandering about Jama Masjid one day, she came across a dark shop where a large amount of dough was being cooked. This peaked her interest, so she went inside to find Miyan Nasiruddin relaxing on his bed, smoking. His face was radiant, and he had the confidence of a seasoned artist.

Initially, he mistook her for a consumer, but upon further investigation, he discovers she is a journalist. She inquires as to where he learned to bake, to which he arrogantly responds that it is in their tradition and that he comes from a line of bakers. It was passed down to him from his father. She goes on to ask him what lessons he learned from his forefathers, and instead of responding, he begins counter questioning. The writer finds his conversations strange and out of place, so he just keeps weaving words around inane conversations.

When the writer inquires if there are any other bakers in the area, he is met with the same arrogance, who responds that there are plenty, but no one who has inherited it as a family heritage. He then tells her that his ancestors had once cooked a novel dish for a king but refuses to tell her what that special dish was. 

When she asks him the name of the king for whom his forefathers worked, he begins to provide evasive responses, saying only that a king’s name is king. The writer wants to know if he has children, but Miyan Nasiruddin’s looks are so harsh that she abandons the thought of inquiring.

He informs the writer that he values his employees and compensates them fairly for their efforts. When she asks what kind of rotis were prepared in his oven, Miyan loses interest in chatting with her, so he automatically gives forth names like Sheermal, Bakar Khani, roomali, and others to get rid of her.

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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न. 1.
मियाँ नसीरुद्दीन के चरित्र पर अपनी टिप्पणी करें।
उत्तर:
मियाँ नसीरुद्दीन का चरित्र दिलचस्प है। वे अपने पारंपरिक पेशे में माहिर हैं; वे ऐसे कलाकार हैं जिनकी कला उनके साथ ही लुप्त होने को है। उनका बात करने का अंदाज बड़ा ही निराला है। यदि उनसे कोई सवाल पूछा जाए तो उसके बदले में वे अनेक सवाल पूछना शुरू कर देते हैं। बड़े ही घुमा-फिराकर जवाब देने तक पहुँच पाते हैं। अपने क्षेत्र में वे स्वयं को सर्वोच्च मानते हैं। दार्शनिकता में सुकरात से कम नहीं हैं। बातूनी बहुत हैं, पर काम करने में उनकी जो आस्था और महारथ है वह अनुकरणीय है। वे आँखों में काइयाँ भोलापन, पेशानी पर मॅजे हुए कारीगर के तेवर लिए, चेहरे पर मौसमों की मार के साथ बात इस तरह करते मानो कविता; जैसे-वक्त से वक्त को मिला सका है कोई ! तालीम की तालीम भी बड़ी चीज होती है आदि।

प्रश्न. 2.
बच्चे को मदरसे भेजने के उदाहरण द्वारा मियाँ नसीरुद्दीन क्या समझाना चाहते थे?
उत्तर:
‘बच्चे को मदरसे भेजा जाए और वह कच्ची में न बैठे, न पक्की में, न दूसरी में और जा बैठा सीधा तीसरी में तो उन तीन किलासों का क्या हुआ?’ यह उदाहरण देकर मियाँ यह समझाना चाहते हैं कि उन्होंने भी पहले बर्तन धोना, भट्ठी बनाना और भट्ठी को आँच देना सीखा था, तभी उन्हें रोटी पकाने का हुनर सिखाया गया था। खोमचा लगाए बिना दुकानदारी चलानी नहीं आती।

 

प्रश्न. 3.
स्वयं को खानदानी नानबाई साबित करने के लिए मियाँ नसीरुद्दीन ने कौन-सा किस्सा सुनाया?
उत्तर:
स्वयं को संसार के बहुत से नानबाइयों में श्रेष्ठ साबित करने के लिए मियाँ ने फरमाया कि हमारे बुजुर्गों से बादशाह सलामत ने यूँ कहा-मियाँ नानबाई, कोई नई चीज़ खिला सकते हो ? चीज़ ऐसी जो न आग से पके, न पानी से बने! बस हमारे बुजुर्गों ने वह खास चीज़ बनाई, बादशाह ने खाई और खूब सराही लेखक ने जब उस चीज का नाम पूछा तो वे बोले कि ‘वो हमें नहीं बताएँगे!’ मानो महज एक किस्सा ही था, पर मियाँ से जीत पाना बड़ा मुश्किल काम था।

प्रश्न. 4.
बादशाह का नाम पूछे जाने पर मियाँ बिगड़ क्यों गए?
उत्तर:
मियाँ नसीरुद्दीन एक ऐसे बातूनी नानबाई थे जो स्वयं को सभी नानबाइयों से श्रेष्ठ साबित करने के लिए खानदानी और बादशाह के शाही बावर्ची खाने से ताल्लुक रखनेवाले कहते थे। वे इतने काइयाँ थे कि बस जो वे कहें उसे सब मान लें, कोई प्रश्न न पूछे। ऐसे में बादशाह का नाम पूछने से पोल खुलने का अंदेशा था जो उन्हें नागवार गुजरा और वे उखड़ गए। उसके बाद उन्हें किसी भी सवाल का जवाब देना अखरने लगा।

प्रश्न. 5.
मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर ‘दबे हुए अंधड़ के आसार’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
मियाँ नसीरुद्दीन लेखक के सवालों से बहुत खीझ चुके थे, पर उन्होंने अपनी खीझ किसी तरह दबा रखी थी। यदि और कोई गंभीर सवाल उन पर दागा जाए तो वे बिफर पड़ेंगे, ऐसा सोचकर ही लेखक ने उनसे उनके बेटे-बेटियों के विषय में कोई सवाल नहीं पूछा। केवल इतना ही पूछा कि क्या ये कारीगर लोग आपकी शागिर्दी करते हैं? क्योंकि इस सवाल से तूफ़ान की आशंका न थी।

 

प्रश्न. 6.
पाठ के अंत में मियाँ अपना दर्द कैसे व्यक्त करते हैं?
उत्तर:
मियाँ ने लंबी साँस खींचकर कहा-‘उतर गए वे ज़माने और गए वे कद्रदान जो पकाने-खाने की कद्र करना जानते थे! मियाँ अब क्या रखा है….निकाली तंदूर से-निगली और हज़म!’ । मियाँ नसीरुद्दीन के इस कथन में गुम होती कला की इज्जत का दर्द बोल रहा है। वर्तमान युग में कला के पारखी और सराहने वाले नहीं हैं। भागदौड़ में न कोई ठीक से पकाता है और यदि कोई अच्छी रोटी पकाकर भी दे दे तो खानेवाले यूं ही दौड़ते-भागते खा लेते हैं, कला की इज्जत कोई नहीं करता। इसी दृष्टिकोण के चलते हमारे देश में अनेक पारंपरिक कलाएँ दम तोड़ रही हैं।

प्रश्न. 7.
मियाँ नसीरुद्दीन का पत्रकारों के प्रति क्या रवैया था?
उत्तर:
उनका मानना था कि अखबार पढ़ने और छापनेवाले दोनों ही बेकार होते हैं। आज पत्रकारिता एक व्यवसाय है जो नई से नई खबर बढिया से बढ़िया मसाला लगाकर पेश करते हैं। कभी-कभी तो खबरों को धमाकेदार बनाने के लिए तोड़-मरोड़ डालते हैं। मियाँ की नज़र में काम करना अखबार पढ़ने से कहीं अधिक अच्छा काम है। बेमतलब के लिखना, छापना और पढ़ना उनकी नज़र में निहायत निकम्मापन है। इसलिए उन्हें अखबारवालों से परहेज है।

प्रश्न. 8.
‘मियाँ नसीरुद्दीन’ शब्द चित्र का प्रतिपाद्य बताइए।
उत्तर:
इस अध्याय में लेखिका ने खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन के व्यक्तित्व, रुचियों और स्वभाव का वर्णन करते हुए यह बताया है कि मियाँ नसीरुद्दीन नानबाई का अपना काम अत्यन्त ईमानदारी और मेहनत से करते थे। यह कला उन्होंने अपने पिता से सीखी थी। वे अपने इस कार्य को किसी भी कार्य से हीन नहीं मानते थे। उन्हें अपने खानदानी व्यवसाय पर गर्व है। वे छप्पन तरह की रोटियाँ बना सकते थे। वे काम करने में विश्वास रखते हैं। लेखिका का संदेश यही है कि हर काम को गंभीरता व मेहनत से करना चाहिए। कोई भी व्यवसाय छोटा या बड़ा नहीं होता।

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FAQ (Frequently Asked Questions): NCERT Solutions For Class 11 Hindi Aroh Chapter 2

Why did Miyan Nasiruddin lose interest in conversation when the writer asks him about which King did his ancestors work for?

When the issue shifts to the king’s name, Miyan Ji loses interest in the writer’s interrogation because he is unfamiliar with it. His ancestors never worked in the royal palace, and he had only heard these stories from others. That’s why, when asked whatever special food their ancestor prepared for the monarch, he couldn’t name it.
 List out some of the good qualities of Miyan Nasiruddin as learned in this chapter.
Miyan Nasiruddin’s personality traits that come through in this extract include: He is very eager and committed to his career as a baker.
He treats his employees with respect and never fails to pay them on time.
He exudes self-assurance and answers all of her queries without hesitancy or reluctance.

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