Class 11 Hindi Aroh NCERT Solutions for Chapter 8 (Updated for 2021-22)

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 8

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 8: Students will benefit much from having Jamun ka Ped Class 11 NCERT Solutions on hand for their revision. We offer the CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 8 Solutions PDF for them to download. It’s a great way to go over the important concepts from this chapter again quickly. These NCERT Solutions For Class 11 Hindi Aroh Chapter 8 PDFs can be downloaded for free.

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 8 PDF

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 8

 



PDFObject.embed(“https://www.kopykitab.com/blog/wp-content/uploads/2021/07/ch8-unlocked.pdf”, “#example1”);

Download Free PDF for NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 8

Click Here

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 8: Overview

Jamun Ka Ped

Krishna Chandar’s satire Jamun ka ped is a well-known comedic satire. Writers must exaggerate occurrences in order to write comedy and sarcasm. As a result, the events described here may appear incredible and full of superlatives, but don’t be shocked.

The ability to be realistic and credible is not a criterion for appraising this type of writing. The way government offices work, which is referred to be bureaucratic, will make you laugh out loud in this chapter. The system is also depicted as heartless and unnatural in the novel.

A strong storm slammed the city, and a large tree of Jamun (Indian blueberry or black plum) crashed on the secretariat’s lawn, crushing a man beneath it. The gardener noticed and informed the peon; the peon then informed the clerk; the clerk then informed the superintendent; and eventually, everyone was informed of the tragedy.

All gathered around the Jamun tree, lamenting its demise. They were concerned about how juicy the tree’s fruits were and how they would be able to load their bags with enough fruit to feed their entire family. No one seemed troubled or concerned about the man who lay beneath the tree.

Some thoughtful young men considered felling the tree and removing the man from it, but the superintendent informed them that the tree is within the jurisdiction of the agriculture department, and they could not chop it down without their permission.

This incident then makes its way to the agriculture department, which passes it on to the horticulture section because the Indian blueberry tree was producing a lot of fruit every year.

In the midst of it all, it emerges that the man crushed beneath the tree is a poet. As word spreads, the situation is brought to the attention of the cultural department. The man who was lying beneath the tree was writhing in pain and waiting for his fate to be decided by all these departments. 

The forest department was preparing to chop down the tree when they learned that it had been planted ten years earlier by Petunia’s Prime Minister. The foreign department believed that cutting the tree would jeopardise their relationship with Petunia.

When the Indian Prime Minister returned from his abroad trip, he seized control of the situation. Meanwhile, the man beneath the tree was losing his fight for survival. It was too late when the Prime Minister eventually gave the order to chop down the tree; the guy crushed beneath it had perished. A man lost his life because of the unemotional and cruel rules and regulations of the government system. 

Access NCERT Solutions For Class 11 Hindi Aroh Chapter 8

पाठ के साथ

प्रश्न. 1.
बेचारा जामुन का पेड़। कितना फलदार था।
और इसकी जामुनें कितनी रसीली होती थीं।
(क) ये संवाद कहानी के किस प्रसंग में आए हैं?
(ख) इससे लोगों की कैसी मानसिकता का पता चलता है?
उत्तर:
(क) ये संवाद सेक्रेटेरियेट के लॉन में जामुन के पेड़ के गिरने से संबंधित हैं। रात की आँधी में सेक्रेटेरियट के लॉन में खड़ा जामुन का पेड़ गिर गया। उसके नीचे एक आदमी दब गया। सुबह माली ने उसे देखा और क्लकों को सूचना दे दी। वहाँ सभी इकट्ठे हो जाते हैं। वे सभी जामुन के पेड़ की प्रशंसा में चर्चा करते हैं किंतु उन्हें उसके नीचे दबे व्यक्ति की कोई चिंता नहीं है।
(ख) इससे लोगों की संवेदनशून्यता तथा स्वार्थपरता का पता चलता है। सरकारी अमले को जामुन के पेड़ से लाभ मिलता था, अत: वे उसके गुण गाते थे तथा उसके गिरने का दुख व्यक्त कर रहे थे। उन्हें दबे हुए जिंदा आदमी की पीड़ा से कुछ लेना-देना नहीं है।

प्रश्न. 2.
दबा हुआ आदमी एक कवि है, यह बात कैसे पता चली और इसे जानकारी का फाइल की यात्रा पर क्या असर पड़ा?
उत्तर:
जब रात को माली ने दबे हुए आदमी के मुँह में खिचड़ी डाली तो उसे यह भी बताया कि तुम्हारे लिए सेक्रेटरियों की मीटिंग होगी और मामला शीघ्र ही निपट जाएगा। इस पर दबे हुए आदमी ने मिर्जा गालिब का एक शेर कह डाला- “ये तो माना कि तगाफुल न करोगे, लेकन खाक हो जाएँगे हम तुमको खबर होने तक।” यह सुनकर माली ने पूछा, “क्या तुम शायर हो?’

दबे हुए आदमी ने कहा ‘हाँ’ तो माली ने चपरासी को, चपरासी ने क्लर्क और क्लर्क ने हेडक्लर्क को बताया और पूरे विभाग में यह सूचना फैल गई। यह निर्णय लिया गया कि न एग्रीकल्चर और न ही हॉर्टीकल्चर, इस व्यक्ति की फ़ाइल कल्चरल डिपार्टमेंट को दे दी जाए। अब फ़ाइल पर नए सिरे से विचार होने लगा। इसे साहित्य अकादमी की केंद्रीय शाखा का मेंबर चुन लिया गया। पत्नी को भत्ता देने की बात भी कही गई पर पेड़ की बात वहीं की वहीं रही। उसे काटना संभव न हुआ। इस बात की फ़ाइल जहाँ की तहाँ रही।

प्रश्न. 3.
कृषि-विभाग वालों ने मामले को हॉर्टीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे क्या तर्क दिया?
उत्तर:
कृषि विभाग वालों ने तर्क दिया कि कृषि विभाग को अनाज और खेती-बाड़ी से संबंधित मामलों में फैसले लेने का अधिकार है। जामुन का पेड़ फलदार वृक्ष है, इसलिए यह मामला हॉर्टीकल्चर विभाग के अंतर्गत आता है। उन्हें ही इस विषय में फैसला लेना चाहिए। उन्होंने फाइल हॉर्टीकल्चर विभाग को सौंप दी।

इस प्रकार प्रशासनिक भाषा में बात कर उन्होंने भी अपना पल्ला झाड़ लिया। दबे हुए आदमी के प्रति मानवीय संवेदना तो दूर-दूर तक न थी। कार्यालयों की कार्यप्रणाली का यथार्थ चित्रण है।

प्रश्न. 4.
इस पाठ में सरकार के किन-किन विभागों की चर्चा की गई है और पाठ से उनके कार्य के बारे में क्या अंदाजा मिलता है?
उत्तर:
इस पाठ में अनेक सरकारी कार्यालयों के नामों का उल्लेख किया गया है जिनमें से प्रथम है, सेक्रेटेरियेट जो सरकारी सचिवालय है। दूसरा हार्टीकल्चर विभाग जो उद्यानों की व्यवस्था देखता है। बाग-बगीचे लगाता है। एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट जो कृषि विभाग होने के नाते फ़सल और पैदावार आदि की व्यवस्था देखता है। पुलिस विभाग कानून-व्यवस्था देखने का दावा करता है। मेडिकल डिपार्टमेंट जो रोगियों और बीमारों का इलाज करता है। कल्चरल डिपार्टमेंट जो कि सांस्कृतिक मामलों से संबंध रखता है; कवि, कलाकार, चित्रकार आदि को प्रोत्साहन देता है। इस पाठ में इनमें से एक भी विभाग सही ढंग से अपना काम नहीं कर रहा। सभी विभाग औपचारिकताओं में पड़ गए हैं। वे संवेदन शून्य होकर रह गए हैं। उन्हें किसी मनुष्य के मरने-जीने का भी इतना ध्यान नहीं है जितना औपचारिकताएँ निभाने का है।

पाठ के आस-पास

प्रश्न. 1.
कहानी में दो प्रसंग ऐसे हैं, जहाँ लोग पेड़ के नीचे दबे आदमी को निकालने के लिए कटिबद्ध होते हैं। ऐसा कब-कब होता और लोगों का यह संकल्प दोनों बार किस-किस वजह से भंग होता है।
उत्तर:
पहला प्रसंग-पहली बार दबे आदमी को निकालने के लिए तैयार होने का प्रसंग कहानी के प्रारंभ में ही आता है।
जब माली की सलाह पर वहाँ इकट्ठी भीड़ पेड़ हटा कर दबे हुए आदमी को बाहर निकालने के लिए तैयार हो जाती है किंतु, सुपरिंटेंडेंट वहाँ आकर उन्हें रोक देता है तथा ऊपर के अधिकारियों से पूछने की बात कहता है। इस प्रकार पहली बार संकल्प भंग हो जाता है।

दूसरा प्रसंग-यह प्रसंग दोपहर के भोजन के समय आता है। दबे हुए व्यक्ति को बाहर निकालने के लिए बनी फाइल आधे दिन तक सेक्रेटेरियट में घूमती रही, परंतु कोई फैसला न हो सका। कुछ मनचले किस्म के क्लर्क सरकारी फैसले के इंतजार के बिना पेड़ को स्वयं हटा देना चाहते थे कि उसी समय सुपरिंटेंडेंट फाइल लेकर भागा-भागा आया और कहा कि हम खुद इस पेड़ को नहीं हटा सकते। यह पेड़ कृषि विभाग के अधीन है।

वहाँ से जवाब आने पर पेड़ हटवा दिया जाएगा। इस प्रकार दूसरी बार फाइल अन्य विभाग में भेजने के कारण लोगों का संकल्प भंग हो जाता है।

प्रश्न. 2.
यह कहना कहाँ तक युक्तिसंगत है कि इस कहानी में हास्य के साथ-साथ करुणा की भी अंतर्धारा है। अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दें।
उत्तर:
हास्य और व्यंग्य दोनों ही कहानी में निरंतर बने हुए हैं, पर करुणा भी प्रवाहित हो रही है। पाठक के समक्ष जब एक के बाद एक औपचारिकताएँ कई दिन तक चलती हैं तो उसे हर क्षण दबे हुए मनुष्य पर दया आती रहती है जो सहज और स्वाभाविक रूप से उठनेवाला भाव है। एक दूसरी स्थिति वह है जब हर रात माली उस दबे हुए आदमी के मुँह में दाल चावल, खिचड़ी आदि डालता है तो रूखे माहौल में कहीं एक संवेदना को देखकर पाठक में करुणा का संचार होता है।

प्रश्न. 3.
यदि आप माली की जगह पर होते, तो हुकूमत के फैसले का इंतज़ार करते या नहीं? अगर हाँ, तो क्यों? और नहीं, तो क्यों?
उत्तर:
यदि मैं माली की जगह होता तो मैं हुकूमत के फैसले का इंतजार नहीं करता। मैं सबसे पहले अपने सहकर्मियों को तैयार करके उस पेड़ को हटाता तथा दबे हुए व्यक्ति को निकालकर उसका इलाज करवाता। मानव जीवन सरकारी कार्रवाई से अधिक महत्वपूर्ण है। संकट के समय में मौके पर उपस्थित सरकारी कर्मचारी स्वयं ही निर्णय ले सकता है। यदि मैं माली की जगह होता तो मेरी सहानुभूति दबे हुए व्यक्ति के साथ होती, परंतु सरकारी फैसले के बिना मैं कुछ नहीं करता। सरकारी नियम इतने पेचीदा होते हैं कि उसमें उलझकर व्यक्ति का सारा जीवन नष्ट हो जाता है। सही कार्य करने पर भी सजा मिलती है।

 

शीर्षक सुझाइए
कहानी के वैकल्पिक शीर्षक सुझाएँ। निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान में रखकर शीर्षक गढ़े जा सकते हैं –

  • कहानी में बार-बार फ़ाइल का जिक्र आया है और अंत में दबे हुए आदमी के जीवन की फ़ाइल पूर्ण होने की बात कही गई है।
  • सरकारी दफ्तरों की लंबी और विवेकहीन कार्य-प्रणाली की ओर बार-बार इशारा किया गया है।
  • कहानी का मुख्य पात्र उस विवेकहीनता का शिकार हो जाता है।

उत्तर:
उपर्युक्त तीनों बिंदुओं को ध्यान में रखकर –

  1. फाइलों में दबा आदमी
  2. सरकारी मौत
  3. मूर्यों का शिकार
  4. कवि की मौत
  5. साहित्यिक मृत्युदंड आदि शीर्षक हो सकते हैं।

भाषा की बात

प्रश्न. 1.
नीचे दिए गए अंग्रेजी शब्दों के हिंदी प्रयोग लिखिए –
अर्जेंट, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट, मेंबर, डिप्टी सेक्रेटरी, चीफ़ सेक्रेटरी, मिनिस्टर, अंडर सेक्रेटरी, हार्टीकल्चर डिपार्टमेंट, एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट।
उत्तर:
अर्जेंट – ज़रूरी। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट – वन विभाग। मेंबर – सदस्य। डिप्टी सेक्रेटरी – उप सचिव। चीफ़ सेक्रेटरी – प्रमुख सचिव। मिनिस्टर – मंत्री। अंडर सेक्रेटरी – अधीनस्थ सचिव। हार्टीकल्चर डिपार्टमेंट – उद्यान विभाग। एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट – कृषि-विभाग।

प्रश्न. 2.
इसकी चर्चा शहर में भी फैल गई और शाम तक गली-गली से शायर जमा होने शुरू हो गए-यह एक संयुक्त वाक्य है, जिसमें दो स्वतंत्र वाक्यों को समानाधिकरण समुच्चयबोधक शब्द और से जोड़ा गया है। संयुक्त वाक्य को इस प्रकार सरल वाक्य में बदला जा सकता है-इसकी चर्चा शहर में फैलते ही शाम तक गली-गली से शायर जमा होने शुरू हो गए। पाठ में से पाँच संयुक्त वाक्यों को चुनिए और उन्हें सरल वाक्य में रूपांतरित कीजिए।
उत्तर:

  1. हम लोग व्यापार-विभाग से संबंधित हैं और यह पेड़ की समस्या कृषि विभाग के अधीन है। पेड़ की समस्या कृषि विभाग के अधीन है, व्यापार-विभाग के नहीं।
  2. एक पुलिस कांस्टेबल को दया आ गई और उसने माली को दबे हुए आदमी को खाना खिलाने की इजाजत दे दी।
  3. माली ने अचंभे से मुँह में उँगली दबा ली और चकित भाव से बोला, ‘क्या तुम शायर हो। माली अचंभित होकर मुँह में उँगली दबाते हुए बोला, ‘क्या तुम शायर हो ?’
  4. उसकी साँस बड़ी मुश्किल से चल रही थी और आँखों से मालूम होता था कि वह घोर पीड़ा में है। घोर पीड़ा से भरी आँखों के साथ उसकी साँसें भी ठीक से नहीं चल रही थीं।
  5. उसके लिए हमने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को लिखा है और अजेंट लिखा है। उसके लिए हमने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को अर्जेंट लिखा है।

प्रश्न. 3.
साक्षात्कार अपने-आप में एक विधा है। जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी के फ़ाइल बंद होने (मृत्यु) के लिए ज़िम्मेदार किसी एक व्यक्ति का काल्पनिक साक्षात्कार करें और लिखें।
उत्तर:

जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी के फाइल बंद होने का जिम्मेदार सुपरिंटेंडेंट ही है। अत: उसका साक्षात्कार निम्नलिखित है-

  • साक्षात्कार कर्ता-आपके विभाग के लॉन में गिरे पेड़ के नीचे आदमी दब गया तो आपने उसे बचाया क्यों नहीं?
  • सुपरिंटेंडेंट-ऊपर के अधिकारियों की इजाजत लेनी जरूरी थी, अन्यथा वे नाराज होते।
  • साक्षात्कार कर्ता-आपके सामने कुछ लोग मानवीयता के नाते उसे बचाने के लिए तैयार थे, परंतु आपने उन्हें रोक दिया क्यों? |
  • सुपरिंटेंडेंट-यह गैर कानूनी था। हर कार्य के लिए सरकारी मंजूरी होनी चाहिए।
  • साक्षात्कार कर्ता-आपने फाइल एक विभाग से दूसरे विभाग भेजी यह व्यर्थ का ताना-बाना क्यों?
  • सुपरिंटेंडेंट-जनाब, हर काम के लिए अलग-अलग विभाग बने हैं। पेड़ का संबंध कृषि, वन, उद्यान विभाग से था, । अत: उनकी स्वीकृति जरूरी थी।
  • साक्षात्कार कर्ता-चाहे इस काम में कोई व्यक्ति मर जाए? सुपरिंटेंडेंट-कानून का पालन करना हमारा कर्तव्य है।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न. 1.
पाठ का शीर्षक ‘जामुन का पेड़’ सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण दबे हुए आदमी की उपेक्षा करता है; इस कथन के पक्ष अथवा विपक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
यह पाठ एक हास्य-व्यंग्य कथा है। इसमें सरकारी कार्यालयों की त्रुटिपूर्ण कार्य-प्रणाली पर बल दिया गया है। उनकी लचर व्यवस्था पर करारी चोट की गई है जो कहीं-कहीं अतिशयोक्तिपूर्ण भी हो गई है। इस प्रकार के वर्णन में सारी कथा अंधड में गिरे पेड पर निर्भर करती है। पेड़ के नीचे दबा आदमी तो सभी विभागों और उच्चाधिकारियों के लिए महत्त्वहीन है। तभी पेड़ के कारण विदेशी संबंध बिगड़ने और आदमी को काटने की बात कही गई है। यदि इसे देखें तो शीर्षक भी आदमी को छोड़कर पेड़ के लिए ही ‘जामुन का पेड़’ रखा गया है जो अपने-आप में व्यंग्य का एक पुट लिए हुए है।

प्रश्न. 2.
जामुन का पेड़ काटने से कौन-से देश से भारत के संबंध बिगड़ने की संभावना थी और क्यों?
उत्तर:
जामुन का पेड़ काटने पर पीटोनिया राज्य से हमारे संबंध सदा के लिए बिगड़ जाने की संभावना थी। कारण यह था कि इस पेड़ को दस साल पूर्व पीटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने स्वयं सेक्रेटेरियेट के लॉन में अपने हाथों से लगाया था। अतः आदमी की जान का क्या? एक देश के साथ बने-बनाए संबंधों को बिगाड़ना अनुचित था। इसलिए पेड़ को काटने की बात वहीं रोक दी गई

 

प्रश्न. 3.
‘जामुन का पेड़’ पाठ का व्यंग्य स्पष्ट करें।
उत्तर:
जामुन का पेड़’ पाठ में कार्यालयी तौर-तरीकों में पाए जाने वाले विस्तार की निरर्थकता और पदों की क्रम संख्या की हास्यास्पद दशा पर करारी चोट की गई है। मानवीय संवेदना की कितनी उपेक्षा की जाती है, इस बात पर व्यंग्य किया गया है। एक मामूली-सी बात के लिए सरकारी दफ्तरों में कई-कई दिन लग जाते हैं। आरोप-प्रत्यारोप, ज़िम्मेदारी से पलायन और काम के प्रति उदासीनता के चलते एक व्यक्ति की जान चली गई तब कहीं जाकर उसकी फ़ाइलों का काम ख़त्म हो पाया। यदि पहले ही निर्णय किया गया होता तो बेचारा दबा हुआ आदमी बच जाता, लेकिन सरकारी दफ्तरों की लचर नीति ने उसकी जान ले ली।

प्रश्न. 4.
इस पाठ में आए किन्हीं दो करुणापूर्ण दृश्यों को अपने शब्दों में उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
पूरे पाठ में माली एक ऐसा पात्र है जो मानवीय संवेदना के आधार पर दबे हुए आदमी के साथ सदैव बना रहता है। उसे निकालने के लिए सबसे निवेदन करता है। रात को उसके मुँह में दाल-चावल या खिचड़ी डालता है। जब वह दबे हुए आदमी के मुँह में भोजन डालता है तो पाठक के मन में करुणा का भाव आता है। दूसरा पाठ का अंतिम दृश्य जब प्रधानमंत्री ने स्वयं सारी ज़िम्मेदारी अपने सिर पर लेकर पेड़ काटने का हुक्म दिया। ‘फ़ाइल पूर्ण हो ‘गई’ के साथ यह दृश्य आया कि दबे हुए आदमी का जीवन पूरा हो गया। उसकी साँसें रुक गईं, शरीर ठंडा पड़ गया और मुँह में चींटियों की एक कतार जा रही थी। इसे देखकर पाठक का हृदय करुणा से भर उठता है।

 

प्रश्न. 5.
सरकारी दफ्तरों में औपचारिकताओं की उलझन मनुष्य के जीवन से भी बड़ी है।’ सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
पाठ के आधार पर यह कथन पूर्णतया सत्य है। एक सामान्य-सी घटना थी कि पेड़ के नीचे एक आदमी दबा है तो किसी भी तरह से निकाल देना चाहिए था। पेड़ सरकारी दफ्तर के लॉन में गिरा था, इसलिए यह घटना भी सरकारी हो गई। कुछ लोग मिलकर जब उसे उठाने ही वाले थे तो सुपरिंटेंडेंट ने आकर उन्हें रोक दिया और डिप्टी सेक्रेटरी, ज्वाइंट सेक्रेटरी, अंडर सेक्रेटरी, चीफ़ सेक्रेटरी, मिनिस्टर और न जाने कौन-कौन इस समस्या में कूद पड़े। अनेक विभागों में उसकी फ़ाइल चलने लगी। उद्यान विभाग, वन-विभाग, व्यापार एवं कृषि विभाग में समस्या ऐसी उलझ गई कि विदेश मंत्रालय भी बीच में आ गया। कल्चरल-विभाग, मेडिकल-विभाग के कारण और उलटी-सीधी बातें चलती रहीं, पर आदमी वहीं दबा रहा। जब तक फ़ाइल पूरी हो पाई मौत से संघर्ष कर रहे उस आदमी की जिंदगी ही पूरी हो गई।

प्रश्न. 6.
‘जामुन का पेड़’ पाठ में सबसे मूर्खतापूर्ण कौन-सा प्रसंग है?
उत्तर:
यूँ तो सारी प्रक्रिया ही व्यंग्य के साथ-साथ हास्यास्पद है, परंतु जिस समय एक मनचला आदमी यह सुझाव देता है कि पेड़ नहीं काटा जा सकता तो आदमी को काट लिया जाए। आधा-आधा शरीर दोनों तरफ से निकालकर प्लास्टिक सर्जरी करवा ली जाए। मेडिकल-विभाग को यह कार्य सौंप दिया जाता है और उन्होंने आकर दबे हुए आदमी के रक्तचाप, रक्त और धड़कन आदि की जाँच के बाद जो रिपोर्ट भेजी वह सर्वाधिक हास्यास्पद है। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि-‘इस आदमी की सर्जरी हो जाएगी और सफल भी रहेगी पर आदमी मर जाएगा।’ यही प्रसंग मूर्खता की चरम सीमा है।

 

प्रश्न. 7.
पेड़ के बजाय आदमी को काटने की सलाह पर अपने विचार व्यक्त करें।
उत्तर:
सरकारी निष्क्रियता, संवेदनहीनता की यह पराकाष्ठा है। सरकार की नज़र में मानवीयता कुछ नहीं है। पेड़ को काटने की बजाय जिंदा मनुष्य को काट देना यह मूर्खतापूर्ण कार्य सरकार में ही हो सकते हैं। इससे पता चलता है कि अपनी बला टालने या अफसरों को खुश करने के लिए निरर्थक, मूर्खतापूर्ण सुझाव भी दिए जा सकते हैं।

Access Other NCERT Chapters And NCERT Solutions For Class 11 Hindi Aroh 

You can download the PDF of NCERT Solutions Class 11 Hindi for other chapters:

We have provided all the important above in the article regarding the CBSE NCERT Solutions For class 11 Hindi Aroh Chapter 8. If you have any queries, you can mention them in the comment section.

FAQ (Frequently Asked Questions): NCERT Solutions For Class 11 Hindi Aroh Chapter 8

The man who was crushed beneath the tree was a poet, how did everyone get to know this, and what effect did it have on the whole episode?

In the night when the gardener was feeding the crushed man, he informs him that the matter has been escalated and it will be resolved by the next day. Upon hearing this, the crushed man recites a poem, and the gardener realizes he is a poet. The news was then told to all by the morning. This information delayed the matter further because his file was then sent to the cultural department for decision. This delay caused the man to die in the end.

Why did the agriculture department pass the file to the horticulture department for deciding on the tree being cut?

The agriculture department stated that they were in charge of making crop and farming decisions. The Jamun tree continued to give fruit till it died. As a result, it fell within the horticulture department’s control.

How should one proceed after reading the NCERT chapter?

You can use our Class 11 Hindi NCERT Solutions after you’ve finished reading the chapter. Experts provide step-by-step answers to all of the practise questions to assist you in better preparing for your exam.

How to prepare for Hindi Aroh?

You may obtain free Revision Notes and Important Questions for Class 11 Hindi on pur website that will help you prepare further. You can also take an online test to assess your degree of preparation.
Students may get Class 11 NCERT notes by class and chapter, which will help them grasp the subject and its chapters better. With the help of the following link.

Leave a Comment