संविधान सभा को इसे तैयार करने में दो साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा। डॉ राजेंद्र प्रसाद को इसका स्थायी अध्यक्ष चुना गया था। इसकी बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की पूर्ण स्वतन्त्रता थी।
संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे। जवाहरलाल नेहरू, डॉ भीमराव अम्बेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे।
भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश के संविधान से लंबा लिखित संविधान है। संविधान सभा पर अनुमानित खर्च 1 करोड़ रुपये आया था।
देश के संविधान में ही कहा गया है कि भारत का कोई आधिकारिक धर्म नहीं होगा।
जिस दिन संविधान को संसद में अपनाया जा रहा था उस दिन दिल्ली में मूसलाधार बारिश हो रही थी। सदन में बैठे सदस्यों ने इसे बहुत ही शुभ शगुन माना था। वैसे भी हिंदुस्तान में बारिश को शुभ संकेतों से ही देखा जाता है।
भारतीय संविधान के अनुसार भारत के नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, पद, अवसर और कानूनों की समानता, विचार, भाषण, विश्वास, व्यवसाय, संघ निर्माण और कार्य की स्वतंत्रता, कानून तथा सार्वजनिक नैतिकता के अधीन प्राप्त होगी।
मसौदा लिखने वाली समिति ने संविधान हिंदी, अंग्रेजी में हाथ से लिखकर कैलिग्राफ किया था और इसमें कोई टाइपिंग या प्रिंटिंग शामिल नहीं थी।
भारतीय संविधान की वास्तविक प्रति प्रेम बिहारी नारायण रायजादा के हाथों से लिखी गई थी। इसके हर पन्ने को शांतिनिकेतन के कलाकारों से बखूबी सजाया और संवारा था।
हाथों से लिखे संविधान को 24 जनवरी 1950 को ही साइन किया गया था। इस पर 284 संसद सदस्यों ने हस्ताक्षर किया था। जिसमें सिर्फ 15 महिला सदस्य थीं। इसके बाद 26 जनवरी से ये संविधान पूरे देश में लागू हो गया।
संविधान की धारा 74 (1) में यह व्यवस्था की गई है कि राष्ट्रपति की सहायता को मंत्रिपरिषद् होगी जिसका प्रमुख पीएम होगा।
संविधान लागू होने के बाद से लेकर सितंबर 2016 तक सिर्फ 101 संशोधन हुआ है। ताजा संशोधन बिल जीएसटी बिल है। इतने कम संशोधन के कारण ही भारतीय संविधान को खास और अच्छा बताया जाता है।
26 जनवरी 1950 को संविधान को लागू किया गया और इसके साथ ही भारत ने अशोक चक्र को बतौर राष्ट्रीय चिह्न स्वीकार किया था।
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